श्यामलाल चतुर्वेदी का जन्म सन् 1926 में कोटमी गांव, जिला बिलासपुर में हुआ था, वे छत्तीसगढ़ी के गीतकार भी हैं। उनकी रचनाओं में "बेटी के बिदा" बहुत ही जाने माने हैं। उनको बेटी को बिदा के कवि के रुप में लोग ज्यादा जानते हैं। उनकी दूसरी रचनायें हैं - "पर्रा भर लाई", "भोलवा भोलाराम बनिस", "राम बनबास"। वे पत्रकारिता भी करते हैं। "विप्रजी" से उन्हें बहुत प्रेरणा मिली थी। और बचपन में अपनी मां के कारण भी उन्हें लिखने में रुची हुई। उनकी मां नें बचपन में ही उन्हें सुन्दरलाल शर्मा के "दानलीला" रटा दिये थे। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ी साहित्य के मूल, छत्तीसगढ़ की मिट्टी, वहाँ के लोकगीत, लोक साहित्य।
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