सामाजिक और सांस्कृतिक जागृति के प्रणेता यति यतनलाल जी का जन्म सन् 1894 में कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी को बीकानेर में हुआ था । मात्र 6 माह की आयु में आपके माता-पिता का देहावसान हो गया । उसके बाद गुरु बाह्यमल ने पुत्रवत् पालन-पोषण किया । ढाई वर्ष की उम्र में अपने गुरु के साथ रायपुर आ गए । अल्पायु में ही आप गणित और भाषा में प्रवीण हो गए । संस्कृत साहित्य और इतिहास आपका प्रिय विषय था । उन्नीस वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण की और 1919 में राजनीति से जुड़ गए ।
आरंभ से ही रचनात्मक कार्यों के माध्यम से आप जन-जागरण के लिए निरंतर प्रयासरत रहे और दलित उत्थान व उन्हें संगठित करने के उद्देश्य से गांव-गांव में घूमकर हीन भावना दूर करने के लिए अथक प्रयास किया । कुरीतियों और बुराईयों से जूझते हुए हर पल आपको विरोध का सामना करना पडा, लेकिन साहस और संकल्प के साथ उद्यम में जुटे रहे ।
1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रचार कार्य में संयोजक तथा नगर प्रमुख के रुप में आपने महत्वपूर्ण योगदान दिया । शराब की दुकानों के सामने पिकेटिंग के संचालन में भी यथेष्ठ भूमिका रही । महासमुंद तहसील में जंगल सत्याग्रह के आप सूत्रधार रहे तथा गिरफ्तार किए गए ।
1933 में आप हरिजन उद्धार आंदोलन के प्रचार में सक्रिय हो गए । महात्मा गांधी के निर्देशानुसार आपने 1935 में ग्रामोद्योग, अनुसूचित जाति उत्थान और हिन्दू-मुस्लिम एकता की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए । स्वतंत्रता आंदोलन में आपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अनेक बार जेल गए । आप ग्रामीण जनता के उत्थान के लिए सदैव कटिबद्ध रहे और ग्रामोद्योग के महत्व का प्रचार करने में संलग्न रहे ।
4 अगस्त 1976 को आपका निधन हो गया । आप श्रेष्ठ वक्ता, लेखक, समाज सुधारक थे । छत्तीसगढ़ में अहिंसा के प्रचार में अविस्मरणीय योगदान को दृष्टिगत रखते हुए छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में अहिंसा एवं गौ-रक्षा में यति यतनलाल सम्मान स्थापित किया है ।
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