रघुवीर अग्रवाल पथिक जी छत्तीसगढ़ी और हिन्दी - दोनों में लिखत हैं। सुशील यदु कहते हैं - 'जइसे उर्दू में रुबाई होथे, हिन्दी म मुक्तक होथे, वइसन छत्तीसगढ़ी में चरगोड़ीया नाम से नवा विद्या के सिरजन करे के श्रेय आप ला हवय' - रघुवीर जी 'पथिक' उपनाम से साहित्य साधन 1956 से करते चले आ रहे हैं। उनकी पहली कविता नागपुर टाइम्स के हिन्दी विभाग में छपी थी। उनकी कविता संग्रह है 'जले रक्त से दीप' - छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह एवं लोक कथा के मुख्य विषय है राष्ट्रप्रेम, भुख, गरीबी, त्याग, बलिदान, पीरा, व्यंग्य, प्रकृति। 1999 में उन्हें आदर्श शिक्षक का सम्मान दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य सम्मेल से मिला।
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