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बिसंभर यादव

बिसंभर यादव जी पूरे छत्तीसगढ़ में जन कवि के रुप में विख्यात है। उनका उपनाम है 'मरहा'। मरहाजी का जन्म बघेरा गांव में हुआ था। उनके पिता किसान थे। बिसंभर जी को पढ़ने का मौका नहीं मिला। वे मंच में कविता सुनाते रहे। साईकिल में उन्होंने गांव-गांव घूम कर करीब 2066 मंचों में कविता सुनाने का कार्यक्रम जारी रखा। उनकी कविता आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में प्रसारित होती है। उन्हें लिखना नहीं आता। 'जवानी लिखथव मैं जवानी लिख वर सन् 1944 ले शुरु करेंवा।' उनकी कविताओं का मुख्य विषय अव्यवस्था के खिलाफ राष्ट्रीय एकता के बारे में है। यादव जी शासन व्यवस्था पर बहुत ही बढिया व्यंग्य करते हैं। कारगिल के ऊपर उनकी कविता 'सुनव हाल लड़ाई के' बहुत लोकप्रिय है।

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