इस ब्लॉग की सामाग्री के संकलन में श्री राहुल सिंह जी का विशेष योगदान है। सामाग्री संकलन अभी आरंभिक अवस्था में है, वर्तमान में यहां प्रकाशित जीवन परिचय हम विभिन्न सूत्रों से साभार प्रस्तुत कर रहे हैं। जैसे-जैसे जानकारी उपलब्ध होती जावेगी हम इसे अपडेट करते रहेंगें। प्रकाशित सामाग्री के संबंध में किसी भी प्रकार के संशोधन, परिर्वतन, परिवर्धन एवं अतिरिक्त सूचना के लिए आप tiwari.sanjeeva एट द gmail.com में संपर्क कर सकते हैं। आपके सुझावों का स्वागत है।
बिसंभर यादव
बिसंभर यादव जी पूरे छत्तीसगढ़ में जन कवि के रुप में विख्यात है। उनका उपनाम है 'मरहा'। मरहाजी का जन्म बघेरा गांव में हुआ था। उनके पिता किसान थे। बिसंभर जी को पढ़ने का मौका नहीं मिला। वे मंच में कविता सुनाते रहे। साईकिल में उन्होंने गांव-गांव घूम कर करीब 2066 मंचों में कविता सुनाने का कार्यक्रम जारी रखा। उनकी कविता आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में प्रसारित होती है। उन्हें लिखना नहीं आता। 'जवानी लिखथव मैं जवानी लिख वर सन् 1944 ले शुरु करेंवा।' उनकी कविताओं का मुख्य विषय अव्यवस्था के खिलाफ राष्ट्रीय एकता के बारे में है। यादव जी शासन व्यवस्था पर बहुत ही बढिया व्यंग्य करते हैं। कारगिल के ऊपर उनकी कविता 'सुनव हाल लड़ाई के' बहुत लोकप्रिय है।
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