शकुन्तला तरार जी छत्तीसगढ़ी, हिन्दी और हल्बी में लिखती हैं। कविता, कहानी, गीत, हास्य व्यंग्य, गद्य, लोक-गीत। शकुन्तला जी का जन्म बस्तर जिलें के कोंडागांव में हुआ था। एल.एल.बी. और बी.जे. करके खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय में लोक संगीत की छात्रा रह चुकी हैं। बचपन से शकुन्तला जी एक ऐसे माहौल में पली हैं जहाँ बस्तरिया लोग गीत और लोक कथा जिन्दगी के अंश रहे हैं। आकाशवाणी जगदलपुर से उनकी कविताएँ प्रसारित होती हैं। शकुन्तला जी हल्बी की उद्घोषिका भी रही हैं। उनका छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह 'बन कैना' बहुत ही लोकप्रिय है। बस्तर के लोकगीत, लोक कथा, बाल गीत पर शकुन्तला जी काम कर रही हैं।
इस ब्लॉग की सामाग्री के संकलन में श्री राहुल सिंह जी का विशेष योगदान है। सामाग्री संकलन अभी आरंभिक अवस्था में है, वर्तमान में यहां प्रकाशित जीवन परिचय हम विभिन्न सूत्रों से साभार प्रस्तुत कर रहे हैं। जैसे-जैसे जानकारी उपलब्ध होती जावेगी हम इसे अपडेट करते रहेंगें। प्रकाशित सामाग्री के संबंध में किसी भी प्रकार के संशोधन, परिर्वतन, परिवर्धन एवं अतिरिक्त सूचना के लिए आप tiwari.sanjeeva एट द gmail.com में संपर्क कर सकते हैं। आपके सुझावों का स्वागत है।
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