पं. बंशीधर शर्मा जी का जन्म सन् 1892 ई. में हुआ था। छत्तीसगढ़ी भाषा के पहले उपन्यासकरा के रुप में जाने जाते हैं। उस उपन्यास का नाम है "हीरु की कहिनी" जो छत्तीसगढ़ी भाषा में पहला उपन्यास था। सुशील यदु, अपनी पुस्तक " लोकरंग भाग-2 , छत्तीसगड़ी के साहित्यकार" में लिखते हैं - " जइसे साहित्य में पं. चन्द्रधर शर्मा गुलेरी हा तीन कहानी लिखकर हिन्दी साहित्य में प्रतिष्ठित होगे बइसने बंशीधर पाण्डे जी 1926 में एक छत्तीसगढ़ी लघु उपन्यास 'हीरु के कहानी' लिखकर छत्तीसगड़ी साहित्य में अमर होगे। आज उन्हला पहिली छत्तीसगड़ी उपन्यासकार होय के गौरव मिले है।" बंशीधर पांडे जी साहित्यकार पं. मुकुटधर पाण्डेजी के बड़े भाई और पं. लोचन प्रसाद पाण्डेजी के छोटे बाई थे। उनका लिखा हुआ हिन्दी नाटक का नाम है "विश्वास का फल" एवं उड़िया में लिखी गई गद्य काव्य का नाम है "गजेन्द्र मोक्ष"
कवि गिरिवरदास वैष्णव - कवि गिरिवरदास वैष्णव जी का जन्म 1897 में रायपुर जिला के बलौदाबाजार तहसील के गांव मांचाभाठ में हुआ था। उनके पिता हिन्दी के कवि रहे हैं, और बड़े भाई प्रेमदास वैष्णव भी नियमित रुप से लिखते थे। गिरिवरदास वैष्णव जी सामाजिक क्रांतिकारी कवि थे। अंग्रेजों के शासन के खिलाफ लिखते थे ।
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