जीवन यात्राः- आपने अपने जीवन पर्यंत छत्तासगढी लोक संसकृति के संरक्षण और विकास हेतु सकारात्मक और सफल प्रयास किया । आपने छत्तीसगढी लोककला को बाह्य प्रभाव से अक्षुण्य रखने के लिए प्रथम प्रयास किया । सन् 1951 में आपने "देहाती कला मंच " की स्थापना की इसके अंतर्गत काली माटी , बंगाल का अकाल , सरग अऊ नरक , रायसाहब मि. भोंदू खान साहब नालायक अली खां , मिस मेरी का डांस जैसे दमदार और प्रभाव शाली प्रहसन प्रदर्शित किये । सन् 1971 में आपने "चंदैनी गोंदा" नाट्य पार्टी का निर्माण किया । चंदैनी गोंदा के बाद पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी की कहानी "कारी" को 1983 में अभिनित किया गया जिसने अंचल में धूम मचा दी । आप लोक संस्कृति पर हो रहे फिल्मी प्रभाव से क्षुब्ध थे ।
आपने बिभंसर यादव , लक्ष्मण मस्तूरिहा जैसे गीतकार , खूमान साव जैसे संगीतकार , केदार यादव जैसे प्रतिभाशाली अनेक लोक कलाकारों को छत्तीसगढ के गाँवों से निकाल कर एक मंच दिया और संस्कृतिक जनजागरण को गति दी ।
अवसान :-14 जनवरी सन् 1998 को आपका देहांत हो गया ।
अन्य कडि़यॉं : -
आरंभ में - अंचल के पहिचान के पर्याय
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आरंभ में - अंचल के पहिचान के पर्याय
7 comments:
... badhate chalo !!
... vaise varg vibhaajan bhee sambhav hai blog par ... a- jo amar ho gaye, b- jo sthaapit hain ( varishth ), c- jo yuvaa hai tathaa sthaapit hone ki aor agrasar hain !!
... a- saamaajik kshetra men, b- saahityik kshetra men, c- raajnaitik kshetra men, d - vividh !!
... a - pradesh star par, b- raashtreey star par, c- antarraashtreey star par !!
मैंने बघेरा में सन 77-78 में देवार डेरा नाटक देखा था, भैयालाल हेडउ का गीत था 'ले ले ले ले ग दाउ बधिया के तेल ले ले' महान थे दाउजी.
दाऊ रामचंद्र देशमुख जी क़े जन्म कब होये रिहीस?
दाऊ रामचंद्र देशमुख जी क़े Bare me aur detail me padhne ke liye yaha Clik kre
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