इस ब्‍लॉग की सामाग्री के संकलन में श्री राहुल सिंह जी का विशेष योगदान है। सामाग्री संकलन अभी आरंभिक अवस्‍था में है, वर्तमान में यहां प्रकाशित जीवन परिचय हम विभिन्‍न सूत्रों से साभार प्रस्‍तुत कर रहे हैं। जैसे-जैसे जानकारी उपलब्‍ध होती जावेगी हम इसे अपडेट करते रहेंगें। प्रकाशित सामाग्री के संबंध में किसी भी प्रकार के संशोधन, परिर्वतन, परिवर्धन एवं अतिरिक्‍त सूचना के लिए आप tiwari.sanjeeva एट द gmail.com में संपर्क कर सकते हैं। आपके सुझावों का स्‍वागत है।

दाऊ दुलार सिंह मंदराजी

दाऊ दुलार सिंह मंदराजी का जन्म 1 अप्रैल 1910 को रवेली ग्राम के सम्पन्न जमींदार परिवार में हुआ था । चार-पांच गांवों की मालगुजारी थी । आपको बचपन से गीत-नृत्य के प्रति खास लगाव था । उन दिनों गांव-गांव में खड़े साज का बोल-बाला था । खड़े साज या मशाल लेकर की जाने वाली मसलहा नाचा प्रस्तुतियों का यह संक्रमण काल था । यह प्रचलित स्वरुप विकसित होकर गम्मत-नाचा का प्रभावी रुप ग्रहण कर मंच पर स्थान बनाता गया । आपने नाचा के मंचीय विकास की यात्रा में भरपूर योगदान दिया ।
आपने इस विधा को विकृति से बचाते हुए परिष्कृत करने का बीड़ा उठाकर रवेली गांव के मंचीय प्रदर्शन से प्रयास आरंभ किया । सक्षम कलाकारों से सुसज्जित उनकी टोली धीरे-धीरे लोकप्रियता पाने लगी । छत्तीसगढ़ी नाचा की लोकयात्रा रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, जगदलपुर, अंबिकापुर, रायगढ़ से टाटानगर तक कई छोटी-बड़ी जगहों में अपना परचम फैलाते बढ़ने लगी । रायपुर के रजबंधा मैदान में रवेली दल की नाचा प्रस्तुति को आज भी याद किया जाता है ।
नाचा के माध्यम से अभिनय के क्षेत्र में मदन निषाद, लालू, भुलवाराम, फिदाबाई मरकाम, जयंती, नारद, सुकालू और फागूदास जैसे दिग्गजों को सामने लाने का श्रेय आपको है । नाचा के माध्यम से छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को जीवन्त रखने और उसके समुचित संरक्षण के लिए अपना तन-मन-धन समर्पित कर दिया । जीवन का आखिरी पहर गुमनामी और गरीबी में गुजारा लेकिन आपने व्यक्तिगत लाभ-प्रशंसा की चाहत को दरकिनार कर केवल नाचा की समृद्धि को जीवन की सार्थकता माना । 1984 को उनका निधन हो गया ।
प्रदर्शनकारी लोक विधा-नाचा को जीवंत रखने, जन सामान्य में उसकी पुनर्प्रतिष्ठा और लोक कलाकारों को प्रश्रय देने वाला यह व्यक्तित्व नई पीढ़ी के लिए प्रेरक है । छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में लोक कला/शिल्प के लिए दाऊ मंदराजी सम्मान स्थापित किया है ।

अतिरिक्‍त लिंक -

14 comments:

कडुवासच said...

... jay johaar !!

Rahul Singh said...

'खेली ग्राम' के लिए संशोधन सुझाव 'रवेली ग्राम', कृपया विचार करेंगे.

Unknown said...

महू ला दाऊ दुलार सिंह मंदराजी के बारे में कोई जानकारी नई रहीस हे।ये पोस्ट ले मोल बहुत सहयोग मिलिस दाऊ दुलार सिंह मंदराजी के बारे में जाने में ।बहुत बहुत धन्यवाद।🙏🙏🙏

Vijju said...

थैक्स for the information to good job done

Unknown said...

धन्यवाद!ये पोस्ट ला पढ़ के महु आज पहिली बार मंदराजी जी के बारे में जाने बार मिलिस। जय छत्तीसगढ👏

Unknown said...

महू ला कुछ मालूम नहीं रहीस हे के दाऊ मंदराजी के बारे में जो हमर बोली बखा और हमर लोक गीत जैसे ला सब जगा ले गिस

Unknown said...

कोन जिला म हे रवेली गांव?

Sinhawal singh nag said...

कौन क्षेत्र के कलाकार रहीस

अनीस सैफी said...

राजनांदगांव

Unknown said...

Jay johar Jay cg

Gazanfar khangazanfar999@gmail.com said...

Unke dwara rachit lok geeton ki.list agar dete to lekh adhik sunder ho jaata

Gazanfar khangazanfar999@gmail.com said...

Unke dwara chattisgarhiya bhasha me rachit prasidh lok geeton ki soochi agar aap yahan per dete to lekh aur sunder ban jaata

jago said...

अच्छी जानकारी

Unknown said...

बहुत बढिय़ा जी 👍👍👍

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